लेखनी प्रतियोगिता -03-May-2022
मेहनत का
मेहनत से ही नर का रुप निखरता है!
कर्म नहीं ,तो जीवन व्यर्थ सा लगता है!
जब हाथों में कृषक के, मिट्टी का रंग चढ़ता है!
कण-कण मिट्टी का स्वर्ण उपजता है!
मेहनत का रंग जब चढ़ता है!
मरुस्थल में भी फूल खिलता है!
चट्टानों से टकरा कर हार न मन मानता है!
चीर पत्थरों को हौसलों से राह नई बनाता है!
मेहनत का रंग जब चढ़ता है!
नर हाथों की लकीरें बदलता है!
धूप,ताप ,वर्षा ,हिम बयार से न विचलित होता है!
कर्म पथ को कर प्रशस्त मंजिल को हांसिल करता है!
मेहनत का रंग जब चढ़ता है!
कंटक भी बन फूल बिखर जाता है!
तप कर तपस्वी अपने से आत्मसात करता है!
अंगारों में बेदी में तपकर सोने का रुप निखरता है!
मेहनत का रंग जब चढ़ता है!
जीवन रंगों से भर जाता है!
चुभ भी जाए यदि कोई शूल पैर पर!
घाव न कहीं भी नजर कोई आता है!
मेहनत का रंग जब चढ़ता है!
मनुज बन सूर्य जग में चमकता है!
बन प्रकाश पुंज जग को प्रकाशित करता है!
अपनी मेहनत से ही बन आफताब चमकता है!
श्वेता दूहन देशवाल
Punam verma
04-May-2022 10:26 AM
Nice
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Abhinav ji
04-May-2022 06:44 AM
Very nice
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Renu
04-May-2022 12:23 AM
👍👍
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